नॉर्वे चेस 2025: डी गुकेश ने पैरों पर मारी कुल्हाड़ी, एक गलती की वजह से मिली हार

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वर्ल्ड चेस चैंपियन डी गुकेश के हाथ से एक बड़ा खिताब फिसल गया. प्रतिष्ठित नॉर्वे चेस 2025 टूर्नामेंट के छठे राउंड में पूर्व वर्ल्ड चैंपियन मैग्नस कार्लसन को हराकर गुकेश ने खूब वाहवाही बटोरी थी. इसने उनके कार्लसन के देश में खिताब जीतने की उम्मीद को बढ़ा दिया थाय हालांकि इस टूर्नामेंट के फाइनल राउंड में उनसे एक बहुत बड़ी गलती हो गई जिसकी वजह से वह इस टूर्नामेंट के चैंपियन नहीं बन पाए. उन्होंने सिर्फ एक छोटी सी गलती की जिसका रिजल्ट बहुत ही बड़ा रहा. गुकेश को भी उम्मीद नहीं रही होगी कि वो ऐसी गलती करेंगे.

तीसरे स्थान पर रहे डी गुकेश

बता दें कि, जब डी गुकेश का मुकाबला अमेरिकी ग्रैंडमास्टर फैबियानो कारुआना से शुरू हुआ था तब वह बिल्कुल भी परेशान नहीं दिख रहे थे. वो इस मैच को काफी अच्छी तरह से खेल रहे थे. ऐसा लग रहा था कि गुकेश इस मैच में ही जीत दर्ज कर लेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने अंतिम समय पर एक खराब चाल चली और हाथ आए मैच को गंवा दिया.इस हार की वजह से डी गुकेश तीसरे स्थान पर रहे जबकि फैबियानो कारूआना 15.5 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. गुकेश 14.5 पॉइंट्स तक ही पहुंच सके.

वहीं वर्ल्ड नंबर-1 नॉर्वे के ही मैग्नस कार्लसन 16 अंक के साथ चैंपियन बनें. दूसरी ओर भारत के अर्जुन एरिगैसी 13 अंकों के साथ पांचवें स्थान पर रहे. एरिगैसी ने कार्लसन के खिलाफ आर्मागेडन टाई-ब्रेक जीता, लेकिन अंत में इसका कोई महत्व नहीं रहा. बता दें कि, अगर गुकेश विश्व नंबर 5 फेबियानो कारुआना के खिलाफ कम से कम ड्रॉ कर लेते और फिर अर्मागेडन प्लेऑफ में जीत दर्ज करते, तो वह वर्ल्ड नंबर-1 कार्लसन के साथ अंक बराबर कर टूर्नामेंट को टाई-ब्रेकर तक ले जा सकते थे. हालांकि ऐसा नहीं हुआ और गुकेश का सपना चकनाचूर हो गया.

अन्ना मुजीचुक चैंपियन बनी

इस कंपटीशन में महिला कैटेगरी में यूक्रेन की अन्ना मुजीचुक चैंपियन बनी. उन्होंने अंतिम राउंड में भारत की आर. वैशाली से आर्मागेडन टाई-ब्रेक में हारने के बावजूद 16.5 अंकों के साथ खिताब जीता. भारतीय खिलाड़ियों में कोनेरू हम्पी 15 अंक लेकर तीसरे स्थान पर रहीं. जबकि आर. वैशाली टूर्नामेंट में जबरदस्त प्रदर्शन दिखाने में नाकाम रही. बता दें कि, आर्मगेडन में मुजीचुक को वैशाली से हार का सामना करना पड़ा था, क्योंकि उनका क्लासिकल गेम ड्रॉ पर समाप्त हुआ था. लेकिन हम्पी, जिन्हें क्लासिकल भाग में महिला विश्व चैंपियन जू वेनजुन को हराने के लिए जीत की आवश्यकता थी, उन्होंने इसे ड्रॉ पर रोका. यही चीज मुजीचुक के लिए अच्छी रही और उन्होंने इस खिताब को अपने नाम किया.