नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। दोनों पड़ोसी देशों के बीच चल रह इस तनातनी पर एक और पड़ोसी देश की नजर है। यह देश है चीन। चीन ने अपनी सैन्य तकनीक को विकसित करने में बहुत पैसा लगाया है। लेकिन अब तक उसके हथियारों का कभी भी जंग के मैदान में परीक्षण नहीं हुआ है। भारत और पाकिस्तान के बीच का संघर्ष इसकी पहली बड़ी परीक्षा है। इसकी वजह यह है कि पाकिस्तान के बेड़े में 81 फीसदी हथियार चीन के हैं। साल 2023 में दुनिया में हथियारों की इंडस्ट्री का रेवेन्यू 632 अरब डॉलर पहुंच गया। जाहिर है कि चीन की नजर इस बाजार पर है।
Stockholm International Peace Research Institute (SIPRI) के मुताबिक अमेरिका दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर बना हुआ है। 2020 से 2024 के दौरान दुनिया में हथियारों के सबसे बड़े सौदागर अमेरिका की हिस्सेदारी 41.7% रही। इसके बाद फ्रांस (10.9%), रूस (10.5%), चीन (5.8%), जर्मनी (5.6%), इटली (4.3%), यूके (3.7%) और स्पेन (2.7%) का नंबर है। चीन की नजर अब इस सेक्टर में नंबर 1 बनने की है। यही वजह है कि चीन की नजर भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव पर है। इससे दुनिया को यह देखने का मौका मिल सकता है कि चीन की आधुनिक सैन्य तकनीक पश्चिमी हथियारों के मुकाबले कैसा प्रदर्शन करती है।
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पाकिस्तान के बेड़े में चीनी हथियार
चीन एक सैन्य महाशक्ति बन रहा है। उसने पिछले चालीस साल में कोई बड़ी लड़ाई नहीं लड़ी है। लेकिन राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन ने अपनी सेना को आधुनिक बनाने के लिए बहुत प्रयास किए हैं। उसने आधुनिक हथियार और तकनीक विकसित करने में बहुत पैसा लगाया है। चीन ने अपने सदाबहार दोस्त पाकिस्तान की सेना को भी आधुनिक बनाने में मदद की है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच साल में चीन ने पाकिस्तान को 81% हथियार दिए हैं।
इन हथियारों में आधुनिक लड़ाकू विमान, मिसाइल, रडार और हवाई रक्षा प्रणाली शामिल हैं। जानकारों की मानें तो ये हथियार पाकिस्तान और भारत के बीच किसी भी सैन्य संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। कुछ पाकिस्तानी हथियार चीनी कंपनियों के साथ मिलकर बनाए गए हैं या चीनी तकनीक और विशेषज्ञता से बनाए गए हैं। पाकिस्तान की सेना चीन में बने जिन हथियारों का यूज कर रही है उनमें जे-10सी और जेएफ-17 फाइटर, एचक्यू-9 एडी सिस्टम, एसएच-15 हॉवित्जर और सीएच-4 ड्रोन शामिल हैं।
चीन का निवेश
हाल के वर्षों में पाकिस्तान ने चीन के साथ अपने संबंध बढ़ाए हैं। वह चीन का ‘सदाबहार रणनीतिक साझेदार’ बन गया है और शी जिनपिंग की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। SIPRI के आंकड़ों के अनुसार 2000 के दशक के अंत में अमेरिका और चीन दोनों ने पाकिस्तान को लगभग एक-तिहाई हथियार दिए थे। लेकिन पाकिस्तान ने हाल के वर्षों में अमेरिकी हथियार खरीदना बंद कर दिया है और अब वह सस्ते चीनी हथियारों से अपने शस्त्रागार को भर रहा है।
अमेरिका के साथ तनाव
अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी वाला देश चीन पिछले कई दशक से दुनिया की फैक्ट्री बना हुआ है। उसने मैन्युफैक्चरिंग में गजब का काम किया है और वह दुनिया की सप्लाई चेन का अहम हिस्सा है। अमेरिका के साथ पिछले कुछ समय से उसका तनाव चल रहा है। अमेरिका चीन का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है जबकि अमेरिका भी चीन के बड़े ट्रेडिंग पार्टनर्स में शामिल है। लेकिन चीन के साथ ट्रेडिंग में अमेरिका को भारी घाटा है। यही कारण है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन पर 145% टैरिफ लगाया है। इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिका पर 125% टैरिफ लगाया है। दोनों में से कोई देश झुकने को तैयार नहीं है।
चीन और अमेरिका के प्रतिनिधियों के बीच स्विट्जरलैंड में बैठक हो रही है। लेकिन दोनों पक्षों को इसमें तुरंत कोई हल निकलने की उम्मीद नहीं है। माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच समझौता होने में दो से तीन साल का समय लग सकता है। इस समय का इस्तेमाल चीन दुनिया को अपना सस्ता माल खपाने में कर सकता है। अमेरिका के मुकाबले चीन का सामान काफी सस्ता माना जाता है और यही वजह है कि दुनिया के बाजार चीनी माल से पटे पड़े हैं।
चीन वर्सेज अमेरिका
अमेरिका के डिफेंस इक्विपमेंट दुनिया में सबसे महंगे माने जाते हैं। मसलन अमेरिका के एफ-22 रैप्टर की कीमत 143 मिलियन डॉलर है। वहीं चीन का चेंगदू जे-20 फाइटर 110 मिलियन डॉलर में मिल जाएगा है। इसे एफ-22 की टक्कर का माना जाता है। हालांकि चीन ने इसकी टेक्नोलॉजी अपने पास ही रखी है। यही वजह है कि जो देश राफेल, एफ-16 और यूरोफाइटर टाइफून जैसे महंगे फाइटर नहीं खरीद पाते वे चीन से सस्ते फाइटर खरीदते हैं।
पूरी दुनिया में चीन के सामान के बारे में कहा जाता है कि चले तो चांद तक, नहीं तो शाम तक। लेकिन चीन अब अपनी इस छवि को बदलना चाहता है। यही वजह है कि उसकी नजर भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे संघर्ष पर है। अगर उसके रक्षा उत्पादों की विश्वसनीयता बढ़ती है तो इससे उसे दुनिया में उनका प्रचार करने का मौका मिलेगा। जेएफ-17 थंडर बनाने वाली कंपनी के शेयर पांच दिन में 50 फीसदी से अधिक चढ़े हैं। इससे पता चलता है कि भारत-पाकिस्तान की लड़ाई में चीन का क्या फायदा