एक मजदूर के बेटे ने कड़ी मेहनत कर देश की कठिन परीक्षाओं में से एक माने जाने वाली आईआईटी का एंट्रेंस एग्जाम तो क्लियर कर लिया और से सीट भी अलॉट हो गई मगर उसकी पढ़ाई की राह में गरीबी बीच में आ गई।
पिता दिहाड़ी मजदूरी करते हैं मात्र 17हजार 500 रूपये की फीस जमा न कर पाने के कारण उसकी आईआईटी की सीट कैंसिल कर दी गई।
इसके बाद झारखंड के कानूनी सेवा प्राधिकरण में याचिका दायर की गई जिस पर यह कहते हुए इनकार कर दिया गया कि मामला उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ तक पहुंचा मामला
बार एंड बेंच की खबर के मुताबिक कल यानी मंगलवार 24 सितंबर 2024 को इस मामले पर सुनवाई की गई।CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली इस बेंच ने सुनवाई करते हुए छात्र को दिलासा देते हुए कहा कि उसकी कक्षाएं 3 महीने पहले से शुरू हो चुकी है मगर वह चिंता ना करें हम कुछ करते हैं।
क्योंकि याचिका कर्ता की सामाजिक पृष्ठभूमि का ध्यान रखा जाना जरूरी है इसके लिए हम नोटिस जारी करना और उसके प्रवेश का ध्यान रखना हम उचित समझते हैं।
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क्या है पूरा प्रकरण
बिहार के मुजफ्फरनगर जिले के एक छात्रा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जिसमें उसने बताया कि उसने आईआईटी का एंट्रेंस एग्जाम क्लियर कर लिया था मगर फीस के पैसों का इंतजाम न होने के कारण उसकी सीट कैंसिल कर दी गई उसे झारखंड के आईआईटी धनबाद में सीट अलॉट की गई थी 24 जून को उसका नाम काट दिया गया।
Published By :- Rohit Awasthi