मंजू की जुबानी..…..“मैंने होश भी नहीं संभाला था, जब मेरी खेलने-कूदने की उम्र थी तभी मेरे घर वालों ने मेरी चार साल की उम्र में शादी कर दी थी, मेरे साथ मेरी 6 बहनों की शादी कर दी थी और छोटी बहन की तो सिर्फ 12 महीने की उम्र में गोद मे उठाकर फेरे कर दिए थे। जब मैं छठी कक्षा में पढ़ रही थी तो हल्का सा ज्ञान का अनुभव होने लगा तो मुझे पता चला कि मेरे आस-पास के लोग मुझे देख कर हंस रहे थे और ये बोल रहे थे कि इससे कौन शादी करेगा मैं कुछ समझ नही पाई। लेकिन शाम को घर आई और मैंने मां से पूछा तो मेरी मां ने रोते हुए बताया कि तेरा तलाक़ हो गया है, तेरे पति ने दूसरी शादी कर ली। मेरे घर वालो का रो-रो कर बुरा हाल हो गया था, बदनामी के डर ने मुझे और मेरे परिवार को अंदर ही अंदर झकझोर कर रख दिया।”
राजस्थान के अजमेर से 15 किलोमीटर दूर हमारी टीम निम्बुकिया की ढाणी मे रहने वाली 21 वर्षीय मंजू रावत के घर पहुंची। जहां मंजू रावत कहती हैं। कि “हम चार भाई-बहन है। जिसमें एक इकलौती बहन मैं खुद हूं। मेरे माता-पिता किसान है। मेरी सन् 2006 मे शादी हो गई थी। मेरे साथ 4 मौसी की लड़कियां व 2 ताऊ की बेटियों की भी शादी हुई थी। हम 7 बहनों मे से सबसे कम उम्र कि मेरी मौसी की छोटी बेटी थी। जिसकी उम्र महज 12 महीने की थी। जिसको मेरी मौसी और मौसा ने हाथ मे उठाकर मंडप मे फेरे दिलवाए थे।
मंजू अपने मुंह पर हाथ लगाई हुई थी आंखों से आंसू भर आया था। जहां मंजू हल्की सी झुकलाकर बोली कि सन् 2010 मे जब मैं स्कूल जा रही रही थी। तब वह छठी कक्षा में पढ़ती थी। एक दिन वह स्कूल जा रही थी तभी रास्ते मे कुछ लोग उसे देखकर जोर से हँसेते हुए बोले कि अब इससे कौन शादी करेगा। मंजू रिपोर्टर टीम से बोली की मैं उनकी कुछ भाषा को समझ नही सकी और स्कूल चली गई। जब शाम को मंजू घर पहुंची और अपनी मां से बोली की मुझे रास्ते मे देखकर कुछ लोग हंस रहे थे। और कह रहे थे कि अब इसका क्या होगा। तभी मेरी मम्मी की आंख भर आई और रोते हुए बताया कि तेरा तलाक़ हो गया है और लड़के ने दूसरी शादी कर ली है। फिर मम्मी रोने लग गई और कुछ नही बोली। मंजू ने बताया कि जब मेरी 4 मेरी वर्ष की आयु में शादी हो रही थी तब मेरे पति की उम्र 12 वर्ष की थी, यानी कि मेरे से 7 साल बड़ा था। उसके बाद मेरी मम्मी ने मुझे सांत्वना दी और धीरे धीरे मैंने उच्च माध्यमिक शिक्षा भी प्राप्त कर ली। आगे पढ़ाने के लिए मेरा परिवार इतना सक्षम नही था और एक रूढ़िवादी सोच भी थी। कि बुढ़ापे मे सिर्फ बेटे ही खाने को देते थे इसलिए मेरे भाइयों को ही आगे की शिक्षा दिलवाई गई, मुझे मेरे भाइयों ने आगे पढ़ाने के लिए मना कर दिया
- मंजू ने खुद को आगे बढ़ाने के साथ समाज की सोच को विकसित करने का जुनून रखा
बड़े-बुजुर्गो ने कहा है कि जिसका कोई नही होता उसका भगवान साथ होता है। फिर ठीक दो दिन बाद मंजू के गांव मे “महिला जन अधिकार समिति” के लोग सर्वे करने के लिए आए। यह समिति एक नारीवादी समिति थी। जो कि पीड़ित महिलाओ को आगे बढ़ाने का काम करती है। उनके साथ यशोदा दीदी आई और उनको मंजू ने अपनी सारी पीड़ा बताई उन्होंने मंजू से डिजिटल शिक्षा में 3 महीने का अध्यन करवाया तथा जिसमे कई प्रकार के कार्य सिखाएं गए जैसे महावारी (पीरियड्स) के दिनों में महिलाएं राहत कैसे पाए इसके बारे में जरूरी जानकारी देना, महिलाएं साइबर अपराध से कैसे बचे, बालिकाओं/महिलाओ को मोबाईल फोन चलाने का तरीका बताना, जरूरी एप्लिकेशन के बारे मे बताना, ई-मेल, कंप्यूटर शिक्षा के बारे मे बताना, महिला (Privacy) के बारे मे बताना, फ्रॉड से बचने का तरीका सीखना, मोबाइल से कुकिंग के बारे में बताना, सिलाई, मेहंदी,रंगोली,आदि सिखाना, मौसम का अनुमान लगाना, ऑनलाइन पढ़ाई का तरीका बताना, सरकारी योजनाओं की जानकारी देना, (Ms Word, Excle) सिखाना।
आज मंजू अपने गाँव निम्बुकिया की ढाणी मे 221 महिलाओ व बालिकाओं को डिजिटल शिक्षा दे रही है। कई महिलाएं तो ऐसी है जिसने कभी स्कूल का दरवाजा तक नही देखा, परंतु आज वे फोन, कंप्यूटर चलाने मे इतनी सक्षम है। और इतनी जानकार भी है कि एक शिक्षित व्यक्ति को भी इतनी जानकारी नही होगी। जब रिपोर्टर ने महिलाओं से पुछा तो महिलाएं बोली की ये सब मंजू की बदौलत से हुआ है। आज पूरा गांव मंजू की तारीफ कर रहा है। जो लोग पहले हंसते थे वो आज मंजू के जज्बे को सलाम कर रहे है। हालांकि कि ये काम इतना आसान नही था शुरुआत मे ग्रामीण लोगो ने अलग-अलग धारणाएं बनाई और मंजू के घर वालो को प्रताड़ित किया।
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मंजू पर भाई ने किया शक, गांव के लड़के देखकर हंसते, रिस्तेदारो ने शिक्षा से रोका, यातनाएं भी झेली
अक्सर गांव वालों का यह आरोप था कि मंजू पढ़ने के लिए नहीं, लड़कों से बात करने के लिए जाती है। पिता ने कहा कि रोटी बनाने की उम्र में पढ़ाई कर रही है। मंजू के भाई मंजू पर शक करते थे। रिश्तेदारों ने कहा कि प्राय होने के बाद में रोटी बनाना है तो फिर इसे शिक्षा क्यों करवा रहे हो। गांव के लड़के मंजू को देखकर हंसते थे और कहते थे यह लड़की है ये क्या करेगी। समाज में यह धारणा थी की लड़कियां तो सिर्फ वंश बढ़ाने के लिए ही होती है। धारणा यह भी थी की बेटी यदि पढ़ाई करेगी तो बुढ़ापे में सास-ससुर को रोटी कौन देगा। यदि खेती का काम नहीं करती थी तो उसे बिगड़ैल लड़की की संज्ञा दी जाती थी।
यदि घर पर फोन चलाती थी तो यह सोचते थे कि यह फोन में गलत वीडियो देख रही होगी। आज मंजू 21 साल की है लेकिन जो समाज मे काम कर रही है वो बहुत बड़ा है। इतना ही नही मंजू के पास जो भी महिलाएं डिजिटल शिक्षा के लिए आती है। उन्हे वो किराया भी मुहैया करवाती है। मंजू आज लाखों लोगो के लिए प्रेरणा बनकर उभरी है।
Reporter Girraj Sharma (Toonga-Bassi)
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