बेंगलुरु में हो रहे एयरो इंडिया 2025 के दौरान वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह के इस बयान का चर्चा में आ जाना हैरत पैदा करता है कि उन्हें सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा कंपनी HAL की क्षमता पर भरोसा नहीं है। हालांकि यह किसी आधिकारिक ब्रीफिंग का हिस्सा नहीं था, लेकिन यूट्यूब पर जारी विडियो एयरो इंडिया से जुड़े कार्यक्रम का है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!बयान पर विवाद : वैसे यह कोई पहला मौका नहीं है जब देश के किसी वायु सेना प्रमुख ने HAL की ओर से सप्लाई में देरी को मुद्दा बनाया हो, लेकिन जिस तरह से और जिस मौके पर यह बयान आया, वह सामान्य नहीं है। देश की रक्षा तैयारियों को लेकर इस तरह के विवाद कोई अच्छा संदेश नहीं देते।
यह भी पढ़ें: तस्वीरों में मोदी–ट्रंप की जुगलबंदी: कुर्सी पर बिठाना हो या गले लगकर कहना– आप याद आए; PM से बोले– यू आर ग्रेट
वायु सेना की चिंता : इस बयान के पीछे छुपी वायु सेना प्रमुख की चिंता समझी जा सकती है। एयरफोर्स को फाइटर जेट तेजस (LCA MK1-A) मिलने में एक साल से ज्यादा की देर हो चुकी है। इस तरह की देरी बहुत गंभीर है। इससे एयरफोर्स की लड़ाकू क्षमता इससे प्रभावित होती है। एयरचीफ मार्शल की इस शिकायत को हलके में नहीं लिया जा सकता कि बार-बार कहने और नई डेडलाइन देने के बाद भी उसका पालन नहीं हो पा रहा।
तकनीकी दिक्कतें : सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर इस तरह की देरी की क्या वजहें हैं। HAL की ओर से कहा गया है कि जो भी तकनीकी बाधाएं थीं, वे अब दूर हो गई हैं और इसीलिए आने वाले तीन वर्षों की समयावधि में एयरफोर्स को 83 तेजस दे दी जाएंगी। दरअसल इस प्रक्रिया से कई तरह की जटिलताएं जुड़ी होती हैं। देरी की एक बड़ी वजह अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस की ओर से समय पर F404 इंजन की सप्लाई नहीं हो पाना भी है। दोनों देशों के बीच तकनीकी हस्तांतरण समझौतों की जटिलता भी इसमें आड़े आती है।
चीन से चिंता: एयर चीफ मार्शल की बात को भारत की सीमा संबंधी चुनौतियों से जोड़कर भी देखा जाना जरूरी है। चीन की सैन्य क्षमता भारत से कहीं ज्यादा है। हाल ही में उसने छठी पीढ़ी के J-36 फाइटर जेट्स की नुमाइश की थी, वहीं दो वर्षों में पाकिस्तान को उससे स्टेल्थ जेट भी मिलने वाले हैं। ऐसे में भारतीय वायुसेना को किसी भी संभावित चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहना होगा और उसके लिए समय पर तेजस की सप्लाई जरूरी है।