आखिर कैसे वामपंथियो ने बता दिया शाहजंहा को महान

शाहजहाँ को बताया प्रेम की मिसाल

शाहजहाँ की बीबियाँ सात से अधिक  थी, जिनमें से चौथे नंबर की पत्नी मुमताज़ थी । और हमे ये पढ़ाया गया कि शाहजहाँ सबसे ज्यादा प्रेम मुमताज़ से करता था । यदि इतना ही प्यार मुमताज़ से करता था तो बाद में उसने कई शादियाँ क्यो की । यहाँ तक कि मुमताज़ के मरने के बाद एक हफ्ते के अंदर ही उसकी बहन फरजाना से शादी कर ली थी, जो व्यक्ति अपनी प्रिय पत्नी का 9 दिन तक शोक नही मना सकता उस व्यक्ति को वामपंथी इतिहासकारों ने यह कह दिया कि शाहजहाँ से अत्यधिक प्यार तो कोई कर ही नही सकता ।
ध्यान देने वाली बात ये है कि 35 वर्ष से अधिक की  आयु में मुमताज़ की मृत्यु किसी बीमारी या चोट से नही हुई थी, बल्कि शाहजहाँ ने मुमताज़ को बच्चा पैदा करने की फैक्ट्री बना रखा था और उसकी मौत चौदहवे बच्चे के जन्म देने के दौरान अत्यधिक कमजोरी के कारण हुई ।
शाहजहाँ ने मुमताज़ के भाई की पत्नी से भी कई बार बलात्कार किया, तथा 55 से अधिक उम्र में भी 13 वर्षीय ब्राह्मण लड़की से बलात्कार किया ।
शाहजहाँ को प्यार नही हैवानियत की हवस थी । उसने अपने शरीर के अंदर जलती हवस को शांत करने के लिए मुमताज़ से विवाह किया था ना कि उसकी सुंदरता से
आप ही बताइये जिसने कभी औरतों की इज्जत नही , अपनी माँ समान भाभी के साथ बलात्कार किया वो खाक मुमताज़ से प्यार करेगा ।
यदि इसके बाद भी शाहजहाँ को प्रेम की मिसाल के तौर पर पूजा जाए तो इससे ज्यादा मूर्खता की बात क्या होगी।

हिंदुओ का नरसंहार
सुप्रसिद्ध यूरोपियन यात्री बर्नियर ने अपनी पुस्तक Travels In the mugal empire में साफ- साफ शब्दों में लिखा है कि शाहजहाँ अपने महल में मीना बाज़ार लगाता था, जहाँ अगवा कर लायी गई सैकड़ो हिंदू महिलाओ के जिस्म को सरेआम बेचा जाता था ।
शाहजहाँ कट्टर मुस्लिम था, और इतना कट्टर था कि उसने अपने राज में ये कानून बना दिया था या तो हिंदू लोग मुस्लिम बन जाओ या फिर मौत के लिए तैयार हो जाओ । उसने 4000 से अधिक हिंदुओ को आगरा में मौत के घाट उतारा ।
शाहजहाँ ने हिंदू तीर्थों पर भी भारी कर लगाया तथा अनेको को मंदिरो को ध्वस्त किया और कई हिंदू मंदिरो को अपवित्र किया ।

शाहजहाँ अपनी कामुकता के लिए इतना कुख्यात व बेशर्म था कि उसने अपनी सगी बेटी जहाँआरा को भी नही छोड़ा ।
कई इतिहासकारों द्वारा शाहजहाँ को अपनी बेटी के साथ
सम्भोग का दोषी माना गया है ।
इतिहासकार बर्नियर ने कहा कि शाहजहाँ अपनी बेटी में इतना लिप्त हो गया था कि उसने कभी भी अपनी बेटी की शादी तक नही की ।
संसार का इतना दुष्ट व्यक्ति कोई नही होगा जो अपनी बेटी के साथ ही गलत संबंध बना ले, परंतु हमे तो वामपंथी इतिहासकारों ने नही बताया की शाहजहाँ इतना हवसी था उसने अपनी बेटी तक को नही छोड़ा ।

मोहब्बत की निशानी ताजमहल
हमें बायें हाथ से लिखे गए इतिहास में ये बताया गया की मोहब्बत कि निशानी तो ताजमहल हैं अगर मोहब्बत की निशानी ताजमहल है तो फिर चित्तौड़ क्या है जहाँ पर रानी पद्मिनी ने अपने पति राजा रतन सिंह के वियोग में आग में जौहर कर लिया और अलाउद्दीन खिलजी को अपना एक बाल तक नही छूने नही दिया ।
इतना ही नही भगवान श्री राम ने अपनी पत्नी सीता के लिए विश्व का सबसे लम्बा पुल (राम सेतु) बना दिया क्या वो मोहब्बत की निशानी नही है ।
यदि ताजमहल आज दुनिया का अजूबा है तो सिर्फ कारीगरी के लिहाज से ना की मोहब्बत के लिहाज से ।

Mumtaz Mahal

TAJ MAHAL

Mughal empire

RAM SETU

SHAH JAHAN

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